Elephant Bird ( एलीफैंट बर्ड )

आज से करीब 300 साल पहले एलीफैंट बर्ड (Elephant Bird) धरती पर विचरण करते थे। इसकी ऊंचाई लगभग 3 मीटर तक होती थी जो मानव शरीर का लगभग दोगुना है। लगभग 750 kg वजन का विशालकाय शरीर था, इसकी यही विशेषता इसे धरती का  सबसे बड़ी पक्षी बनाता था। शुतुरमुर्ग को सबसे बड़ा पक्षी होने का श्रेय एलीफैंट बर्ड के लुप्त होने के बाद ही मिला होगा जो यह समय करीब 17वीं सदी थी। यह वही समय था जब अंग्रेजी हुकूमत भारत समेत पूरी दुनिया में अपनी औपनिवेशिक शासन को स्थापित कर रही थी।
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 एलीफैंट बर्ड मुख्य रूप से मेडागास्कर में पाए जाते थे। मेडागास्कर अफ्रीका महादेश के पूर्वी तट पर एक देश है जो हिंद महासागर में एक बड़ा द्वीप के रूप में जाना जाता है।

एलीफैंट बर्ड शुतुरमुर्ग की तरह दिखाई देने वाला एक विशालकाय पक्षी था। इसके वजन के बराबर एक और विशालकाय पक्षी ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता था। जो Dromonis Stirtoni था। ये पक्षी भी विलुप्त हो चुके थे। अफ्रीका में पाया जाने वाला शुतुरमुर्ग आज सबसे बड़ा Ratite है। Ratite वैसे पक्षियों का समूह है जो Flat breastbone के कारण उड़ने में असमर्थ हैं। इन पक्षियों का भारी-भरकम शरीर भी उड़ने में असमर्थ बनाता है। एलीफैंट बर्ड भी इस समूह में वर्गीकृत किए जाते हैं इसी समूह में शुतुरमुर्ग और कीवी भी शामिल है।
13वीं सदी में इतालवी खोजकर्ता(Italian Explorer) मार्कोपोलो पूर्वी देशों की यात्रा पर थे। इन्होंने अपनी यात्रा के दौरान एक विशालकाय पक्षी के बारे में सुना था जो हाथी की तरह विशालकाय था। यह पक्षी अपने पंजे में हाथी जैसे जानवरों को पकड़ सकता था।
मेडागास्कर में एलीफैंट बर्ड को 'Vorompatra' कहा जाता था, जिसका अर्थ होता है- 'दक्षिण मेडागास्कर का पक्षी'। इस पक्षी को मेडागास्कर में कम आबादी वाले हिस्से में अधिकतर देखा जाता था।
एलीफैंट बर्ड का अंडा-
एलिफेंट बर्ड का अंडा भी सामान्य पक्षी के अंडों से असामान्य रूप से कई गुना बड़ा होता था। इन अंडो का वजन करीब 10 Kg और लंबाई 13 इंच होता था। इसमें करीब 10 लीटर तरल पदार्थ होता था। इसे सबसे बड़ा अंडा माना जाता था।
एलीफैंट बर्ड का अंडा एक पूरे परिवार के भोजन के लिए पर्याप्त होता था शायद इसी कारण से इसका बहुत अधिक शिकार किया गया था। फिर भी इनके कई अन्य दुर्लभ अंडों के नमूने दुनियाभर के संग्रहालय में संरक्षित करके रखा गया है।

पुरातत्वविदों के अनुसार एलीफैंट बर्ड शायद 300 साल पहले लुप्त हो गए थे।
लुप्त होने के कारण-
  करीब इसा पूर्व 300 साल पहले इंसान मेडागास्कर आए थे। मानवीय आबादी के बढ़ने और कृषि जरूरतों को पूरा करने के कारण इन विशालकाय ज़ीवो का आवास सिमटता गया।
पुरातत्वविदों ने मानव के आवास पर से आग के अवशेष के साथ एलीफैंट बर्ड के अंडों के अवशेष भी पाए है, जो स्पष्ट करता है कि इन जीवो का बड़े स्तर पर शिकार किया जाता था।
लोग इसके अंडों के खोल का प्रयोग कटोरे के तौर पर भी करते थे।
 इन्हीं गतिविधियों के कारण शायद ये विशालकाय पक्षी इस ग्रह से लुप्त हो गए।


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