Space Force

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Space force

आज 21 वीं सदी के दौर में पूरी दुनिया सिमट कर रह गई है। आने वाले कुछ दशकों के बाद शायद अंतरिक्ष (Space)भी सिमट कर रह जाएगा। प्राचीन काल से लेकर आज तक इंसानों ने बहुत सारे सभ्यताओं (Civilizations) का निर्माण किया है और आधुनिक समय तक का सफर तय किया है। धरती के सभी जीव अपने वर्चस्व को बचाने के लिए युद्ध करते हैं। दुनियाभर के सभ्यताओं में भी बहुत से बड़े-बड़े युद्ध लड़े गए हैं और जब पूरी दुनिया आधुनिकता की तरफ तेजी से बढ़ रही थी तब प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ। इससे यही कहा जा सकता है कि सभ्यताएं कितनी भी क्यो न विकसित हो जाएं युद्ध से बच नहीं सकता। समय के साथ युद्ध की तकनीक और तरीके भी विकसित हो जाते हैं। आधुनिक समय में युद्ध कई आधार पर लड़े जाते हैं, जैसे- धर्म, सीमा विवाद, व्यापार, वर्चस्व आदि। कहने का अर्थ है कि लड़ने के लिए कोई मुद्दा ना भी हो तो नए मुद्दे खोज लिए जाते हैं। कुछ युद्ध हथियारों से लड़े जाते हैं तो कुछ युद्ध जुबान और कर( tax) से  लड़ें जाते हैं जिसे आप ट्रेड वॉर(Trade War)  के नाम से जानते है। 21वीं सदी के अंत तक पूरी दुनिया आज के मुकाबले बहुत अधिक उन्नत(Advance) हो चुकी होगी। यह सच्चाई है कि भविष्य में सुपरपावर( Superpower) वही देश होगा जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी उन्नत होगा। 21वी सदी के अंत तक पूरी दुनिया अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी तरक्की कर लेगी। ऐसे में सभी देशों के सैटेलाइट(Satellite) धरती की कक्षा(Orbit) में घूम रहे होंगे, दूसरे ग्रहों ( Other Planet) की यात्रा की जा रही होगी। पूरी दुनिया अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी तरक्की कर लेगी की वर्चस्व को लेकर स्पेस वार (Space War) से इनकार नहीं किया जा सकता। तो ऐसे में स्पेस वार से बचने के लिए स्पेस फोर्स (Space Force) की आवश्यकता होगी। शायद आप लोग 'स्पेस वार' और 'स्पेशल फोर्स' शब्द विज्ञान-फंतासी (Science Fiction) फिल्म या कहानियों में सुना होगा, लेकिन यह हकीकत होने जा रहा है।

# स्पेस वार क्यों होगा? 
स्पेस वार क्यों होगा?  इसकी तुलना आप विश्वयुद्ध (World War)के कारणों से कर सकते हैं फिर भी स्पेस वार की संभावना उस वक्त की परिस्थितियों(Situations) पर निर्भर करेगा। अगर धरती पर सीमा विवाद, जासूसी, जल संकट को लेकर कोई युद्ध होता है तो वह स्पेस वार का रूप ले लेगी।

स्पेश फोर्स क्या होता है?
जिस प्रकार से धरती पर जल सेना(Navy), वायु सेना(Air force), थल सेना होती है जो अपने अपने क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को अंजाम देती है। उसी प्रकार अंतरिक्ष में होने वाले युद्ध के लिए भी अंतरिक्ष सेना होगी जिसे स्पेस फोर्स(Space Force) कहा जाता है। स्पेस वार में भी स्पेस फोर्स ही इस्तेमाल किए जाएंगे।

स्पेस फोर्स क्यों जरूरी है?
अमेरिका का सेटेलाइट के बदौलत ही पूरी दुनिया पर राज है। अमेरिका, रूस, चीन, भारत, जापान, यूरोपियन यूनियन(EU) के पास अपनी सेटेलाइट तकनीक है। इसी के कारण ही इनका अन्य देशों पर दबदबा रहता है, देश के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठा करते हैं। पूरी दुनिया में GPS, संचार तंत्र, मौसम भविष्यवाणी सैन्य गतिविधि का काम सैटेलाइट के द्वारा किया जाता है। ऐसे में कोई देश किसी देश के सैटेलाइट पर हमला करके इन्हें खत्म कर दे तो उस देश की कमर टूट जाएगी और जीवन शैली भी ठप पड़ जाएगी। ऐसी घटनाओं से सुरक्षा के लिए स्पेस फोर्स की आवश्यकता होगी। अभी वर्तमान में मौजूद मिसाइल की रेंज में दुनियाभर के तमाम सैटेलाइट आ गए हैं जिससे इनपर खतरा मंडरा रही है।

वर्तमान में चुनौती
वर्ष 2007 में चीन अपने मिसाइल से अपने ही मौसम उपग्रह( Weather Satellite) को उड़ा दिया था। जिससे दुनिया भर क सैटेलाइट खतरे में आ गए थे। चीन का पूरी दुनिया में आलोचना( Criticism) हुई थी। अमेरिका को आशंका है कि चीन और रूस अमेरिका के सैटेलाइट को निशाना बनाने वाली तकनीक पर काम कर रहे हैं। दुनिया के कई देशों के पास एंटी सैटेलाइट( Anti Sattelite) तकनीक मौजूद हैं।

अमेरिका की योजना
अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने एक बार कहा था कि "अमेरिका को अपनी सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष में मिसाइल तैनात करना चाहिए"। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी स्पेस फोर्स बनाने का ऐलान किया है और कहा कि "जब अमेरिका की रक्षा करने की बात आती है तो अंतरिक्ष में केवल हमारी मौजूदगी काफी नहीं है, अंतरिक्ष में भी अमेरिका का दबदबा होना चाहिए। इसलिए मैंने पेंटागन को स्पेस फोर्स तैयार करने का आदेश दिया है। पूरी दुनिया की नजर हम पर है। अमेरिका फिर से सम्मानित हो रहा है। स्पेस फोर्स की इस योजना से न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि देश के नागरिकों का हौसला भी बढ़ेगा"। ट्रंप के इन बयानों से पूरी दुनिया में हलचल मची हुई है।

किनके पास मौजूद है स्पेस फोर्स?
1982 में अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने स्पेस फोर्स  बनाया था जिसे औपचारिक रूप से वायुसेना अंतरिक्ष कमांड के रूप में जाना जाता है। रूस ने भी स्पेस फोर्स का गठन किया था लेकिन उसके बाद उसने उसका एयर फोर्स में विलय कर दिया।

प्राकृतिक खतरा
प्राचीन काल में धरती पर सबसे अधिक उल्कापिंडों ने तबाही मचाई थी, जिसके कारण डायनासोर धरती से लुप्त हो गए। धरती को सबसे अधिक खतरा इन्हीं ब्रह्मांडीय उल्का पिंडों, पुच्छल तारे और क्षुद्रग्रहों से है। स्पेस फोर्स अगर इन चीजों से लड़ने के लिए बनाया जाए तो सबसे बेहतर होगा। एक उल्कापिंड हजारों परमाणु बम( Atom bomb) के बराबर ऊर्जा उत्पन्न करता है। वैज्ञानिक आशंका जता चुके हैं कि अगले कुछ दशकों में उल्का पिंड धरती से टकरा सकता है। इसके लिए पहले से ही तैयार रहना होगा।

एलियंस( Aliens) से खतरा
स्टीफन हॉकिंग समेत कई वैज्ञानिक चेतावनी दे चुके हैं कि भविष्य में एलियंस (परग्रही) धरती पर हमला कर सकते हैं। यह घटना उसी प्रकार से होने का अनुमान है जैसे यूरोपियन देशों ने भौगोलिक खोजों( Geographical Discoveries) के माध्यम से पूरी दुनिया पर आक्रमण करके अपना वर्चस्व स्थापित किया था और अपना उपनिवेश(Colony) स्थापित किया था। ऐसा अनुमान है कि अगर एलियंस धरती पर आएंगे तो इसी प्रकार की कोशिश करेंगे। एलियंस के संभावित खतरों से बचने के लिए स्पेस फोर्स की अति आवश्यकता है।


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