Nipah Virus (निपा वायरस)

          Nipah Virus (निपा वायरस)

कुछ बीमारियां किसी को होती है, तो व्यक्ति की कुछ ही समय बाद मृत्यु हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि आधुनिक समय में आधुनिक रोगाणु अपना आतंक मचाते है। ये रोगाणु कहने को तो आधुनिक है लेकिन ये हमारे बीच बहुत समय पहले से ही थे।
निपाह वायरस सबसे पहले वर्ष 1998 ईसवी में मलेशिया में चर्चा में आई थी जब इससे लगभग 265 लोग पीड़ित हुए थे। इनमे से ज्यादातर लोग मारे गए थे। यह वायरस मलेशिया के एक गांव कम्पंग सुंगाई निपाह में सबसे पहले फैला था। इसी गांव के नाम पर इसका नाम निपाह वायरस पड़ा। यह वायरस खतरनाक इसलिए है कि इसके चपेट में आने पर कुछ ही समय बाद रोगी की मृत्यु हो जाती है और इसके इलाज़ का आज तक पता नहीं चल पाया है।
2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इसके चपेट में आए थे। अब यह निपाह वायरस भारत के केरल राज्य में आतंक मचा रहा है। इसके कारण लगभग 12 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 150 से अधिक लोग इससे ग्रसित हैं। इसका संक्रमण केरल के सीमावर्ती राज्य कर्नाटक में भी पैर फैला रहा है।
लक्षण-
1. शुरुआती अवस्था में सांस लेने में समस्या या मानसिक भ्रम की स्थिति होती है।
2. संक्रमित व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द,  मानसिक भ्रम की समस्या दिखाई पड़ती है।
3. मरीज को सांस संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
4. यह मरीज को 24  से 48 घंटो में कोमा में पहुंचा सकता है।
   जब यह निपाह वायरस मलेशिया में फैला था तो इसका कारण सूअर को माना जाता था। क्योंकि वहां लोग सूअरों को पालते थे। जब इसका संक्रमण बांग्लादेश में फैला था तो लोगो ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस
तरल तक निपाह वायरस को के जाने वाला चमगादड़ था, जिन्हें  'फ्रूट बैट' कहा जाता है।
भारत में डॉक्टरों ने पुष्टि किया की यह वायरस इंसान से इंसानों में भी फैलता है। जब संक्रमित चमगादड़ किसी फल  को खाता है तो चमगादड़ के माध्यम से निपाह वायरस फल में चला जाता है। जब इस फल को इंसान या जानवर खाता है  तो वह निपाह वायरस से संक्रमित हो जाता है। संकर्मित चमगादड़ जब मल त्यागता है, तो मल किसी फल पर गिरता है या जमीन पर गिरता है। चमगादड़ के मल से दूषित फल को खाने से भी निपाह वायरस का संक्रमण होता है। सूअर किसी भी जीव के मल को खाते रहते है। इस प्रकार से वायरस सूअर में भी चला जाता है और इंसानों तक पहुंच जाता है।
जब इस प्रकार का संक्रमण पछियों में होता है तो ये वायरस दूर स्थित इलाकों में भी पहुंच जाते है। अधिक जनसंख्या वाले स्थानों पर महामारी फैल जाती है।
लेकिन इसका जिम्मेवार कौन है? शायद आप सब से पूछा जाए तो अधिकांश लोग कहेंगे -  चमगादड़ । लेकिन ये पूरी तरह से सत्य नहीं है।
पूरी दुनिया में अंधाधुंध विकास हो रही है और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। जिसके कारण जंगल सिकुड़ते जा रहे है। सिकुड़ते जंगल के कारण वन्य जीवो का आवास कम होता जा रहा है और ये वन्य जीव आबादी वाले इलाकों कि तरफ आ जाते है। इस प्रकार से जंगली बिमारी इंसानी बस्तियों में आतंक मचा देती है। निपाह वायरस के लिए कोई भी ईलाज ढूंढा नहीं गया है, जिसके कारण यह बहुत ही ज्यादा खतरनाक है। WHO के अनुसार इसका प्रारंभिक इलाज ICU  में ही संभव है।
बिल गेट्स के अनुसार भविष्य में इस प्रकार की बिमारी बहुत ही बड़े स्तर पर फैलेगी और इससे बचने के लिए बड़े स्तर पर इसके ईलाज के लिए रिसर्च की आवश्यकता है।
Nipah Virus (निपा वायरस) से कैसे बचें?
1. आप जो भी खाना खा रहे हैं उससे पहले यह जांच लें कि वह खाना किसी भी जीव के मल से दूषित ना हो क्योंकि मल चमगादड़ का भी हो सकता है। खासकर किसी बगीचे या जंगलों में फल खाने से पहले जरूर ध्यान दें।
2. जितना हो सके सूअरों से दूर रहें क्योंकि यह किसी भी जीव के मल को खाते रहते हैं।
3. अगर कोई व्यक्ति निपा वायरस से पीड़ित है तो उससे दूर रहने में ही भलाई है। क्योंकि इसका संक्रमण मानव से मानव में भी फैलता है।
4. वैसे खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों को खाने से बचें जो खुले में रखे हुए रहते हैं।
5. अपने आसपास की जगह या निजी उपयोग की चीजें जैसे शौचालय, बाथरूम इत्यादि साफ-सुथरा रखें।
6. अगर कोई व्यक्ति निपा वायरस के संक्रमण से मर गया हो तो उसके अंतिम संस्कार में भी सावधानी बरतें। अंतिम संस्कार में ले जाते वक्त उसके चेहरे को ढक दें, मृत व्यक्ति को गले न लगाएं, अंतिम संस्कार के वक्त मृत शरीर को स्नान कराते समय भी सावधानी बरतें।
7. गांव के लोग कृपया सूअरों और घोड़ों से दूर रहे। लोकल शराब, ताड़ी, खुरचा हुआ फल या कोई सब्जी खाने से बचे या एकदम ही न खाएं।
8. जहां पर चमगादड रहता है उस स्थान से दूर रहे या उस स्थान पर जाने से बचें क्योंकि वायरस का मूल स्रोत चमगादड़ ही है।

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