India Meteorological Department (IMD)



आरंभ में हमारे पूर्वज मौसम के कारण उत्पन्न हुए वायुमंडलीय घटनाओं (जैसे- बादलों का गरजना, बिजली चमकना आदि ) को देखकर डर जाते थे। जैसे - जैसे इनमें विकास होता गया अवधारणाएं बदलती गई। हमारे शास्त्रों में मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी दी गई है। लेकिन इस प्रकार की जानकारी मौसम के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि पूरी दुनिया विकास की अंधाधुंध दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया है। इस कारण हमारे वायुमंडल में बड़े स्तर पर बदलाव हुआ है। इस बदलाव के कारण जलवायु में बड़े स्तर पर परिवर्तन हो रहा है। इस परिवर्तन के कारण धरती का वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रही है। फलस्वरूप मौसम के पैटर्न में लगातार परिवर्तन हो रहा है। मौसम के बिगड़ते पैटर्न के कारण पहले कि अपेक्षा भयानक प्राकृतिक आपदाएं आ रही है। आप इसे इस प्रकार समझ सकते है कि मौसम में बदलाव होने पर बड़े आपदाओं का संकट उत्पन्न हो जाता है। बरसात के मौसम में भयानक बाढ़ और चक्रवात आते है और गर्मी के मौसम में भयानक सूखा। इन सभी आपदाओं से बचने के लिए मौसम के गहन अध्ययन की जरूरत पड़ती है जो पुराने पारंपरिक तरीके से संभव नही है। मौसम विज्ञान के अध्ययन के लिए नए तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जैसे- रडार, मौसम उपग्रह आदि।
 भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश है यहां विश्व कि बड़ी आबादी रहती है। इस कारण से भारत को मौसम पूर्वानुमान की जरूरत है। सन् 1875 में भारत सरकार नेे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम विज्ञान प्रक्षेण, मौसम पूर्वानुमान और भूकम्प विज्ञान का कार्यभार सँभालने वाली एजेंसी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना किया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। वार्षिक बजट लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपया है। वर्तमान में यह बहुत ही उन्नत हो गया है। इसने बहुत सारे चक्रवातों( Cyclone) का पूर्वानुमान किया है जिससे बड़े स्तर पर जान माल का नुकसान होने से बचाया गया है।
2014 में जब हुदहुद चक्रवात ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय जिलों में भारी बारिश से तबाही मचाई थी। करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली थी। तब मौसम विभाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लगभग चार लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। भारत के विकास में भारतीय मौसम विभाग का महत्वपूर्ण योगदान है। सूखा, बाढ़, चक्रवात, आंधी, खराब मॉनसून, प्राकृतिक आपदा का पहले  ही अनुमान लगा लिया जाता है जिससे देश एवम् किसानों को भारी क्षति से बचा लिया जाता है।

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