डायनोसोर धरती से क्यों लुप्त हो गए

   डायनोसोर धरती से क्यों लुप्त हो गए

   धरती के निर्माण से लेकर मानव जाति के इतिहास से  पहले तक धरती पर अनेक प्राकृतिक परिवर्तन हुए हैं। ये सभी परिवर्तन धरती को इंसानों के रहने लायक बनाया। एक ऐसा ही परिवर्तन आज से 6.5 करोड़ साल पहले हुआ था, यह एक ऐसा दौर था जब धरती पर स्तनियो का नही बल्कि विशालकाय सरीसृप डायनोसोर का राज हुआ करता था। बड़े बड़े डायनोसोर धरती पर विचरण करते थे।
 इनके सामने किसी भी दूसरे प्राणी का वश नहीं चलता था जिसके कारण दूसरे जीवों का धरती पर वर्चस्व नहीं था। ये डायनोसोर धरती के सभी भागो में पाए जाते थे। जैसा कि शोध से पता चला है। भारत में भी डायनोसोर के अस्तित्व का साक्ष्य मिला है।
आप शायद सोचते होंगे कि डायनोसोर को जुरासिक काल से ही जोड़कर क्यों देखा जाता है। डायनोसोर धरती पर ट्रियासिक काल के प्रारंभ में ही आ गए थे लेकिन वे जुरासिक काल आते आते वे बहुत ही एडवांस हो गए थे। जुरासिक काल में इनका ही राज चलता था। डायनोसोर धरती पर करीब 20 करोड़ साल तक अस्तित्व में रहे। अगर आप अपने मानव जाति की इतिहास का  इनसे तुलना करेंगे तो हमलोग इस धरती पर बहुत ही कम सम
जब आप धरती के इतिहास को जानने की कोशिश करेंगे तो पता चलेगा कि आज के जैसी धरती बनने में सबसे बड़ा योगदान उल्का पिंडों और धूमकेतुओं का रहा है। इनके कारण ही पानी से लेकर अनेक पदार्थ धरती पर लाए गए। इनके द्वारा लाए गए पानी जिसका उपयोग हमलोग करते है और इसका प्रयोग डायनोसोर भी करते थे। 6.5 करोड़ साल पहले जो हुआ इसमें भी इन खगोलीय पिंडों ने ही तबाही मचाया था। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि एक विशालकाय उल्का पिंड  का धरती से जबरदस्त टक्कर हुआ था जिसके कारण धरती के लगभग सभी भागो में ज्वालामुखी फटने लगी। इस टक्कर से निकलने वाली ऊर्जा हजारों हाइड्रोजन बम के बराबर था।  ज्वालामुखियों के फटने से वातावरण में धुएं और राख के मोटे मोटे बादल बन गए जिससे लंबे समय तक धरती को सूर्य का प्रकाश नसीब नहीं हुआ। फलस्वरूप सभी वनस्पति खत्म हो गए और धरती पर बड़ी मात्रा में पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हुआ। भोजन के अभाव और जलवायु परिवर्तन के कारण  ये सभी विशालकाय सरीसृप अपने अस्तित्व को नहीं बचा पाए। 

इसके बाद धरती पर स्तनी अपना वर्चस्व कायम किए जो आज तक फल फूल रहा है। मानव भी एक स्तनी ही है जो आज के इस युग में सबसे बुद्धिमान प्राणी है।

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