क्या है Earth Hour ?

           Earth Hour (अर्थ आवर)
earth hour
धरती सौर मंडल का एक ऐसा ग्रह है जिसपर जीवन चक्र मौजूद है। यहां जीवन होने का सबसे मुख्य कारण यहां पर  जल की मौजूदगी है। जल जो धरती को अद्वितीय ग्रह बनाती है। हमारी धरती को आज जैसी धरती बनने में अरबों साल लग गए। मनुष्य धरती पर लाखों साल पहले आए थे। इन्हें सबसे बुद्धिमान जीव कहा जाता है। औद्योगिक क्रांति के बाद हम लोग पिछले लाखों सालो की तुलना में सबसे अधिक विकसित हुए हैं इसका मुख्य कारण हम लोग धरती की ऊर्जा का उपयोग करना सीख गए थे। 21 वीं सदी के इस दौर में सभी लोग और सभी देश एक दूसरे से आगे निकलना चाहते है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए हमलोग इस सुंदर धरती के संसाधनों का बेहिसाब दोहन कर रहे है। कोई जानना नहीं चाहता की हमारे इस रहन सहन के कारण धरती की जलवायु कितना प्रभावित हो रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो समझ लीजिए हमलोग अपनी ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे है।

  इस आधुनिक रहन सहन को बदला तो नहीं जा सकता है परन्तु अपने जीवन जीने के तरीकों में थोड़ा बहुत बदलाव करके हम अपनी इस प्यारी सी धरती के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। इससे हमारी अगली पीढ़ी को साफ सुथरी धरती मिलेगी। एक ऐसा ही वैश्विक पहल की शुरुआत हुई है जिसका नाम है- Earth Hour
इसकी शुरुआत वर्ष 2007 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हुआ था। यह अभियान हर वर्ष मार्च महीने के आखिरी शनिवार को हर जगह स्थानीय समय के अनुसार शाम 8:30 बजे से 9:30 बजे तक चलाया जाता है। इस अभियान की शुरुआत छोटे स्तर पर शुरू हुआ था लेकिन आज यह वैश्विक रूप ले चुका है। यह अभियान हर वर्ष जन- जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड(WWF) के द्वारा चलाया जाता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य विश्व के प्रमुख शहरों में 1 घंटे के लिए गैरजरूरी बिजली को बंद कर ऊर्जा की बचत करना है। इस दौरान दुनिया के लगभग 10000 महत्वपूर्ण शहरों में गैरजरूरी लाइट्स को बंद करने का प्रस्ताव किया गया ताकि पृथ्वी को बचाने का संदेश जन-जन तक पहुंच सके। भारत इस अभियान में वर्ष 2009 में शामिल हो चुका है। पहली बार भारत के 56 शहरों में लगभग 50 लाख लोगों ने 1 घंटे के लिए गैरजरूरी बिजली के स्विच ऑफ कर दिए। सबसे खास बात रही कि हमारे देश में अर्थ आवर के नाम पर 1 घंटे के लिए स्विच ऑफ किया गया जिससे लगभग 1000 मेगावाट बिजली की बचत हुई। इससे यह साबित हुआ कि कोई भी काम छोटा नहीं होता, हम लोग मात्र 1 घंटे में हजारों मेगावाट बिजली की बचत कर सकते हैं। इसके कारण धरती के संसाधनों में बचत हुई। शायद अर्थ आवर कार्यक्रम  का यही उद्देश्य था। अगर हम लोग प्रतिदिन अपने हिसाब से लगभग 1 घंटे अपने घरों में गैर जरूरी बिजली बंद कर देते हैं तो हमारा भविष्य उज्जवल होगा। इस प्रकार से हम अपने देश के संसाधनों में बचत तो करते ही हैं हम अपने देश के विकास में योगदान भी देते हैं।






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