तिब्बत के ग्लेशियर में 15000 साल पुराना वायरस कितना ख़तरनाक है?
Hindi Analysis |
जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए अब इतना खतरनाक हो गई है कि इसके कारण अब नई नई बीमारियां पैदा हो रही है और भविष्य में कई तरह के नई-नई बीमारी फैलने की आशंका है।
भारतीय उपमहाद्वीप के उतरी भाग पर स्थित तिब्बत, जिसे संसार का छत कहा जाता है। यहां पर कई बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं। हालांकि इन ग्लेशियरों का आकार अब धीरे-धीरे कम हो रही है और यही सबसे बड़ा संकट है। वर्ष 2015 में वैज्ञानिकों की एक टीम तिब्बत पहुंची। वैज्ञानिक पता लगाना चाहते थे कि तिब्बत में जो ग्लेशियर है, उसके अंदर क्या है?
भारतीय उपमहाद्वीप के उतरी भाग पर स्थित तिब्बत, जिसे संसार का छत कहा जाता है। यहां पर कई बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं। हालांकि इन ग्लेशियरों का आकार अब धीरे-धीरे कम हो रही है और यही सबसे बड़ा संकट है। वर्ष 2015 में वैज्ञानिकों की एक टीम तिब्बत पहुंची। वैज्ञानिक पता लगाना चाहते थे कि तिब्बत में जो ग्लेशियर है, उसके अंदर क्या है?
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में चीन के उत्तर पश्चिमी तिब्बत पठार पर स्थित विशाल ग्लेशियर में ऐसे वायरस को खोजा, जिसके बारे में आज तक किसी को कुछ पता नहीं था। यह वायरस करीब 15000 साल से तिब्बत के विशाल ग्लेशियर में फंसे हुए थे। इस तरह के वायरस दुनिया भर में मौजूद ग्लेशियर में भी हो सकते हैं।
जिस रफ्तार से धरती गर्म हो रही है और दुनिया भर के ग्लेशियर पिघल रहे हैं, इसके कारण इस तरह के वायरस का दुनिया में फैलने का खतरा पैदा हो गया है। इस तरह के वायरस को दुनिया के संपर्क में आना मानव जाति एवं संपूर्ण प्राणियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
वायरस बर्फ में दबे होने के कारण हजारों सालों तक जीवित रहते हैं बर्फ को पिघलने पर धीरे-धीरे मुक्त होते हैं और बाहरी दुनिया के संपर्क में आ जाते हैं। अगर इन वायरस के कारण बीमारी फैलती है तो आधुनिक समय में इसका इलाज ढूंढना मुश्किल हो सकता है। सच यह भी है कि आधुनिक दुनिया इस तरह के वायरस से लड़ने के लिए तैयार नहीं है।
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